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टुटे पंख


टूटे पंखों को ले करके,
कैसे जीवन जीना हो।
किसको कहते साथ चले हम,
घोर हला जब पीना हो।

छाये बादल काले ग़म के,
कहीं नहीं उजियारा है।
बीच भँवर में अपनी कश़्ती,
दूर कहीं न किनारा है।
पाया नहीं है इस जहान में,
कोई कहीं महजबीना हो।।1।।

अपनी पीर दिखायें किसको,
नहीं किसी से यारी है।
जिसे दिया था हमने दिल को,
उसने हमें बिसारी है।
लेकर खंजर वार करे जो,
खुदा कहीं न हसीना हो।।2।।

जिसको माना अपना सबकुछ,
बन बैठी ओ हरजाई।
हाय बेरुखी नखरे उसकी,
तोषन को रास न आई।
छोड़ चलूँगा दुनिया को अब,
मेरी  कब्र मदीना हो।।3।।

तोषण कुमार चुरेन्द्र
धनगाँव डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

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3 Comments

Gunjan Kamal

11-Jun-2022 10:22 AM

बहुत खूब

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Raziya bano

11-Jun-2022 10:20 AM

Bahut khub

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Abhinav ji

11-Jun-2022 09:36 AM

Nice👍

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